जज्बात
फर्श पे बैठे दोस्तों के हर बात से मत खेलो
गर्दिश में पहुचे उनके हालात से मत खेलो
तेज़ है तेरे शौर्य का तेरे क्षितिज पर तो क्या
बिसर जो गए हो, अपने औकात से मत खेलो
तमन्ना जो पाल बैठे हो गैरइंसानियत का
मित्रों के तिल-तिल मालूमात से मत खेलो
आत्मसात कर लो नाकाबिलियत को उनके
चूर-चूर बिखरे जज्बात से मत खेलो
© सर्वाधिकार सुरक्षित-मोहन'कल्प'
© सर्वाधिकार सुरक्षित-मोहन'कल्प'
No comments:
Post a Comment