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कब होगी joining मेरी



कब
होगी Joining .......


परेशान होकर आया हूँ
अपने विभाग का ही सताया हूँ
प्रातः पानी बस पिया था
अब तक कुछ खाया हूँ
खूब काटा
चक्कर ऑफिस का
पर
हरारत थका पाया हूँ
घर पंहुचा
तो लगा अभी
हीं मरहम लगाया हूँ


जाता कहीं, जीवन बेदम सी लगती है
दिन हैं बेजार, रातें बदरंग सी लगती हैं
पढता हूँ तो किताबें नागन सी लगती हैं
post office मुझे मेरे कफ़न सी लगती है


कब जाऊंगा लेकर बैग ? चन चन सी लगती है
होगी मेरी ऑफिस भी, मनसुख हरदम सी लगती है
बस खाता हूँ-पीता हूँ, घर में घुटन सी लगती है
पूछे कोई joining कब होगी, तो चुभन सी लगती है

जल्दी होगी joining मेरी
आशाएं-किरण सी लगती है
जब-जब जाता ऑफिस मै
अपर्णा जी यही कहती हैं .

कितनी हंसती दुनिया मेरी थी
जब मै नौकरी करता था
सुबह ऑफिस जाता था
रात में खर्राटे भरता था

दोस्तों मैं तो भोला था
पप्पू था, बडबोला था
पोस्ट ऑफिस के बुलाने से पहले
उठा लिया वहां से अपना झोला था




© सर्वाधिकार जानाक्षि-मोहन'कल्प'

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