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जबरदस्ती की दोस्ती गंवारा नहीं....



जबरदस्ती कि दोस्ती मेरी....



वो मुखर व्यक्तित्व हो नहीं सकता जिसके मन में संकोच हो

उस आम कि डाली का क्या जो फल से न आमोद हो

उस दोस्त का क्या करना जो सीधा हो न सोझ हो

और उस
रिश्ते का कोई मायने नहीं जो

सहज न करे और बोझ हो.....



©
सर्वाधिकार सुरक्षि-मोहन'कल्प'










6 comments:

संगीता पुरी said...

इस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

लोकेन्द्र सिंह said...

हिन्दी ब्लॉग की दुनिया में आपका तहेदिल से स्वागत है।
आपको और आपके परिवार को नवरात्र की शुभकामनाएं।

Umra Quaidi said...

सार्थक लेखन के लिये आभार।

यदि आपके पास समय हो तो कृपया मुझ उम्र-कैदी का निम्न ब्लॉग पढने का कष्ट करें हो सकता है कि आप के अनुभवों से मुझे कोई मार्ग या दिशा मिल जाये या मेरा जीवन संघर्ष किसी के काम आ जाये।
http://umraquaidi.blogspot.com/

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

अच्छे विचार पढ़ने को मिले.

SAKET SHARMA said...

ब्लॉग की दुनिया में स्वागत है आपका..

Patali-The-Village said...

बहुत सुन्दर...