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एक ही जनम

एक ही जनम


बनाकर तुम्हारे दिल को बसेरा,
तुम्हारे दिल मे रहना चाहता था,
आज तुमसे दिल की हर बात ,
मै बस कहना चाहता था.

आने ना दी जवानी दीपक की तुमने
डाल दी पानी, बुझा दी उस लौ को
चिरागेमोहब्बत जो रोशन करना चाहता था

कहाँ मांगी धन दौलत
ना मांगी ताजो तख्त
बस तुम्हारे खूबसूरत होठों से
प्यार के दो बचन चाहता था

पापा को ना परेसान करता
मम्मी को ना सताता मै
उनसे तो सिर्फ आशीष वचन चाहता था

दोस्त तुम्हारे होते मेरे भी
दीदी को तो बस नमन करता मैं
भैया के सिने से लग
उनसे मिलन चाहता था

बच्ची की तरह तुझे
सिने मे चिपका कर
मेरी हर खुसी तुम्हे दे
तेरे गम मे खुद को मगन चाहता था

खा लेता चुप जो बनाती
पिलाती कुछ कहता कसम से
बुलबुल कहाँ मै तुमसे
तुम्हारा वतन चाहता था

मै तो बस एक ही जनम चाहता था ..............


© सर्वाधिकार सुरक्षि-मोहन'कल्प'


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