नही जानते हो तो स्वीकार हो
वर्ना तेरी बुद्धि व् कूल पे धिक्कार हो
अरे-अरे मेरी न मानेगा अपनी मनवायेगा
न मानने पर क्या काट खायेगा !!
आखिर बहस है किस चीज़ कि .......
बहस है उंच-नीच की
वह क्या है ? चीज़ की
न मानने पर मनवाने की
देख लेंगे ज़माने की
बहस है आन-बान और घराने की
राजनीति , क्रिकेट और अपने ज़माने की
स्वाभिमान, अधिकार और विरासत दिखाने की
बल्कि नहीं है संवेदित हो विरासत बचाने की
बहस है...................................
ब्रह्मा के विधान की
अल्लाह के अजान की
इशु के पुनः प्राण की
गोविन्द के म्यान की
बहस है....................
नेहरु खानदान की
लालू घरान की
अशोक के कत्लेयाम की
चित्रगुप्त के ज्ञान की
बहस है...................................
अमरनाथ में विहान की
जामा मस्जिद में अजान की
८४ के दंगो और गुजरात में अपमान की
पूजा की और रमजान की
बहस है...................................
ब्राह्मणों के बखान की
क्षत्रियों के गुणगान की
राजनीति में इनकी पहचान की
मुंसी बेईमान की
बहस है...................................
परशुराम की
मान सिंह के मान की
पृथ्वी चौहान की
दूसरों के ईमान की
बहस है...................................
६२ के बंजर, ४७ के चालान की
राज़, अवसरवाद व् स्वकल्याण की
मौकापरस्ती और रंगीन शाम की
बहस है...................................
गौ कल्याण की
मंदिर-मस्जिद निर्माण की
लालू, जूदेव, राजा, सुखराम की
सोनिया के मूल के प्रमाण की
आडवानी के पकिस्तान की
बहस है...................................
मुस्लिमों से रास्ट्र भक्ति, रास्ट्र गान की
सवर्ण, अछूत समाज संज्ञान की
विदेशियों के शासन में
स्वदेशियों के योगदान की
सोचो....................................
बहस से क्या मिल जायेगा
सामने वाला हठी क्या मान जायेगा
मान ही जायेगा तो तू क्या पायेगा
काल व्यर्थ, गाल से न आएगा
फिर भी ................................
बहसें रोज़ होतीं हैं
अपेक्षा की उपेक्षा से रूहें रोती हैं
संसद में तांडव, जनमानस खुश होती है
पांच साल खुद पे रोती है
बहस क्यों नहीं होती.....................................
गीत-संगीत शेक्सपीयर के गधपान की
अरस्तु महान की
बुद्ध-विधान, एकलव्य के आत्मसमान की
कर्ण का सौर्य, भीस्म के बलिदान की
बहस क्यों नहीं होती.....................................
माँ ,परिवार , जनकल्याण की
विद्यालय व् अस्पताल निर्माण की
वन, जीव और पर्यावरण वर्धान की
सभी के लिए राजनीति एक समान की
और और और
शिक्षित-साक्षर नहीं विचारशील-जिम्मेवार इंसान की
© सर्वाधिकार सुरक्षित-मोहन'कल्प'
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