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Game ka Khel

गेम का खेल


बस थोड़ी बारिश , हो जाती है रेलम-रेल
जनता होती रु-बा-रु , यात्री होते झेलम-झेल
६०% भूखा भारत, घोटालेबाज हुए बिन नकेल
भूख रहेगी न BPL, सब हो जायेंगे APL
तब चले गेम का मेल,तब खेलेंगे खेले-खेल


© सर्वाधिकार सुरक्षि-मोहन'कल्प'








2 comments:

Amit K Sagar said...

कल्प जी, आपकी रचनाएं तो खडिया खड़ी करने वाली हैं. और मुझे बेहद पसंद हैं. बस जारी रहिए. ये आवाज़ बेहद कीमती है बॉस...एक दिन बहुत काम आयेगी!

Mohan 'Kalp' said...

thankx "Sagar" Sahab.........