शीला जी का क्या काम.... बिन पानी दिल्ली बेजान खबर ना आई कानो कान शीला जी का क्या काम ? हर तीसरे दीन पेपर मे नाम ममतामई कुदरती चेहरा ! सरकार का सिस्टम जैसे हो बहरा ! बिन बिजली दिल्ली बेजार रासट्रीय राजधानी भी बेकार पाइप फटा नीर बह रहा यहाँ वहाँ कहीं ना पहरा कहीं उदघाटन, समारोह, अज़ान खबर हो जाए बस कानो कान बदलाव के नाम मिला कमान प्रबंधन में इनके नहीं है जान खुलता है वहीँ मुह और कानजहाँ मिडिया का साजो-सामान स्वतंत्रता का वृधा साल रास्ट्र जवानी ना अब तक लाल बस उनको मिल जाए मंडप करने लगे ओ हर सु तन्ड़प रिक्शावालों की कालाबाज़ारी सड़कों पे गड्डों गटरों की मारा मारी पंद्रह वर्सो का है शासन कहतीं है करो बिजली-पानी खर्च नियंत्रण चमकता नहीं एक भी कोना राजधानी न होता होना हाई कोर्ट न करती हस्ताछेप प्रदुसन का न होता घटाछेप हे ममतामयी दीक्छित कब तक जनता रहेगी बिछिप्त गर ममता का एक कोना है संसाधन का ही तो बस रोना है कांग्रेश, भाजपा न सपा और न पार्टी से लेना है ईमानदार नेता का, अब नहीं बस रोना है बेईमानो की इस टोली में कम बेईमान का बस होना है हे जड़-जनता ! एक बार जो चुक हुई तो पांच वर्ष तक ढोना है हथियार तेरे हाथ, बस ट्रिगर आधे-पौना है उर्जा तो तू हीं है , पर बन बैठा खिलौना है चुनने की ताकत है जन पर मिल जाए सौर्य हटाने का कहे "मोहन-कल्प" फिर क्या अब मिट जाएगी निरंकुशता सफ़ेद ज़माने का © सर्वाधिकार सुरक्षित-मोहन'कल्प' |
2 comments:
वाह भाई,
क्या लिखा है. उम्दा.
Thanks Sagar Sahab....
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